हेलो दोस्तों आशा करती हु की आप सब आपने आपने घरो में कुशल मंगल होंगे अनपे अपने परिवारों के साथ और आज में बताउंगी आपलोगों भारत के कुछ अनसुलझे रहस्य के बारे में। मेने पहले भी ऐसे दो ब्लॉग पोस्ट किये और आगे मेरे ब्लॉग पड़ने के लिए मेरीपेज को जरूर फॉलो करे ताकि में आपको कुछ हटके और अद्भुत रहस्य के बारे में बताती रहु।
जैसे की आपलोग जानते है की हमारे भारत ऋषि-मुनियों और अवतारों की भूमि है। यदि धर्म कहीं है तो सिर्फ यहीं है। यदि संत कहीं हैं तो सिर्फ यहीं हैं। माना कि आजकल धर्म, अधर्म की राह पर चल पड़ा है। माना कि अब नकली संतों की भरमार है फिर भी यहां की भूमि ही धर्म और संत है। इसलिए भारत को एक रहस्यमय देश कहते है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 कि.मी. दुरी में कालभैरव मंदिर है। भगवान कालभैरव को प्रसाद में केवल शराब ही चढ़ाई जाती है। कहा जाता है की एक बार ब्रह्मा ने शिव का अपमान कर दिया था, इस बात से भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और उनके नेत्रों से कालभैरव प्रकट हुए। क्रोधित कालभैरव ने ब्रह्मा का पांचवा सिर काट दिया था, जिसकी वजह से उन्हें ब्रह्म-हत्या का पाप लगा। इस पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने शिव की आराधना की। शिव ने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है। कालांतर में यहां एक बड़ा मंदिर बन गया।मंदिर के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की कई दुकानें हैं।कहा जाता है की शराब से भरे प्याले कालभैरव की मूर्ति के मुंह से लगाने पर वह देखते ही देखते खाली हो जाते हैं।
तवानी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से 25 कि.मी. दूर तवानी मंदिर स्थित है। मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का कुंड है। इस मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का कुंड है। इस कुंड में स्नान के बाद ही कोई भी दर्शनार्थी मंदिर में प्रवेश कर सकता है। इस कुंड में पानी गर्म कैसे होता है, ये बात आज तक रहस्य बनी हुई है और लोग कहते है की इस पानी में शरीर के लिए कई लाभदायक तत्व मौजूद हैं।
कामाख्या मंदिर
कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। कामाख्या शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है सती का योनिभाग कामाख्या में गिरा और उसी समय कामाख्या मंदिर का निर्माण किया गया। यहा सालभर में एक बार अम्बुबाची मेले के दौरान मां कामाख्या रजस्वला होती हैं और इन तीन दिन में योनिकुंड से जल प्रवाह कि जगह रक्त प्रवाह होता है। इसलिए अम्बुबाची मेले को कामरूपों का कुंभ कहा जाता है और यह मंदिर देवी कामाख्या को समर्पित है।
ज्वाला जी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मां दुर्गा को समर्पित एक मंदिर है, जिसे ज्वाला जी मंदिर या ज्वालामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के केंद्र में एक दीपक जल रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह अनादि काल से जलता आ रहा है और हमेशा जलता रहता है। इस दीपक से नीली लौ निकलती है।
Such a religious post ☺☺☺☺
ReplyDeleteReligious one...
ReplyDeleteLuved it...
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